Mon. Dec 23rd, 2024

POST BY RAHUL AND KARINA

हवा कुछ सुना रही है सुनो छठी मैया आ रही हैं

मां का प्यार और मिट्टी की पुकार है छठ
मैथिली मगही और भोजपुरी गीतों की आवाज है छठ
मिट्टी के चूल्हे पर पक्के मीठी गुड़ का स्वाद है छठ
चार पहर चार दिन भगवान सूर्य की हर रूप की उपासना है छठ
प्रकृति की पूजा है छठ
ठेकुआ जैसे महाप्रसाद है छठ
बिना किसी पुरोहित के संपन्न होने वाला हमारी खुशियों का आधार है छठ
आधुनिक से भरे इस युग में भी अत्यमिता की पुकार है छठ
गेहूं धोके सुखना और मिट्टी के चूल्हे बनाना घाट सजाने वाली पवित्रता का अपार है छठ
तीन दिन की निर्जला उपवास वाला है छठ
कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाली प्राकृतिक की पूजा है छठ
विश्व का सबसे कठिन पर्व है छठ
खरना –
निर्जला उपवास के साथ जब मां माटी के चूल्हे पर गुरु वाली खीर बनती है फिर शाम को केले के पत्ते पर भोग चढ़ती हैं पूजा संपन्न होने पर आशीर्वाद लेने को आवाज लगती हैं सच पूछो तो छठी मैया खरना के रोज प्रसाद ग्रहण करने व्रतियों के घर आती है यही तो है छठ
सुबह-सुबह ठेकुआ बनाना माथे पर दौरा उठाना घाट तक चल कर जाना शाम को कोशि सजाना एक पंक्ति में लगाना डूबते सूरज की पूजा करना इस पर्व की महानता बतलाना जानते हो क्या है यह हमारे लिए जज्बात है सुकून है स्वर्ग है लालिमा से आज कीभारी शाम संध्या आर्ग है
शारदा सिन्हा के गीतों की झंकार है ईख‌ गागर और नींबू जैसे फलों का सरोवर है छत
नहाए खा-
सुनो खाना आज नहा कर ही मिलेगा जब सुबह की पहली किरण के साथ आपकी अगर ये मां की आवाज सुनाई दे कद्दू भात दाल पकते दिखाई दे तो समझ लीजिएगा नहाए खाय से हो चुकी है छठ की शुरुआत

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