छपरा के तेनुआ गांव में बीते शाम एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें करंट लगने से एक मां और उसकी 10 वर्षीय बेटी की मौत हो गई।
बच्ची घर में लगे टेबल फैन को चलाने के लिए तार को बिजली बोर्ड में जोड़ने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि फैन का प्लग नहीं था। इसी दौरान उसे करंट लग गया। जब मां उसे बचाने आई, तो वह भी करंट की चपेट में आ गई।

दोनों को आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दोनों की जान नहीं बच सकी। रातभर पोस्टमार्टम के इंतजार में अस्पताल में तड़पते रहे परिजन—सुबह 9 बजे तक जब यह रिपोर्ट लिखी जा रही थी, तब तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ था।

परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। पिता राजमिस्त्री हैं, परिवार में अब बूढ़ी मां और एक बेटा ही बचा है।
यह हादसा न केवल दुखद है, बल्कि यह कई सवाल भी खड़े करता है—क्या हम इतने भी जागरूक नहीं कि एक नंगे तार से बचाव कर सकें? क्या सरकारी तंत्र इतना सुस्त है कि पोस्टमार्टम तक के लिए गरीब को रातभर इंतजार करना पड़े?
