शहर के प्रेक्षागृह में आज के टीवी अपडेट कॉन्फ्रेंस में इंडियन चेस्ट सोसायटी बिहार चैप्टर में बिहार के डॉक्टरों ने टी वी अपडेट कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में यक्ष्मा रोग पर सभी डॉक्टर्स ने विस्तार से प्रकाश डाला।कार्यक्रम की शुरुआत चीफ गेस्ट द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। सीपीएस स्कूल के छात्राओं द्वारा स्वागत गान गया गया
एपीआई व आइ एम ए के सहयोग से यह कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन किया गया। टी वी पर राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस में राज्य स्तर के फिजिशियन और फेफड़ा रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपने ज्ञान को इस कांफ्रेंस में साझा किया। टी वी को कैसे कंट्रोल किया जाएगा,इसपर विशेष रूप से बताया गया।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसोसिएशन आफ फिजिशियंस ऑफ़ इंडिया के डिन डॉक्टर कमलेश तिवारी, डॉ राकेश कुमार हेड WHO टी वी विंग बिहार , डॉक्टर दीपेंद्र कुमार राय अध्यक्ष आईसीएस बिहार, डॉ सुधीर कुमार सेक्रेटरी आईसीएस, बिहार , डॉक्टर सी एन गुप्ता एमएलए छपरा, डॉ सागर दुलाल सिंह सिविल सर्जन छपरा,डॉक्टर मेजर मधुकर प्रेसिडेंट आई एम ए छपरा ,डॉ सुधीर कुमार सिंह प्रेसिडेंट आईएमए सारण सेंट्रल इत्यादि चीफ गेस्ट ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया। राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज से विभागीय प्रोफेसर और साथ ही पीजी स्टूडेंट ने भी इस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। इस कांफ्रेंस का आयोजन शहर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर राजीव रंजन ने किया। सभी के गेस्ट को डॉक्टर राजीव रंजन द्वारा सोल और पौधे से सम्मानित किया गया । मंच का संचालन डॉक्टर महिमा पांडे द्वारा किया गया।
ebihardigitalnews.com —-
2024 में टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) को लेकर कुछ महत्वपूर्ण अपडेट्स और पहलें जारी हैं:
- भारत सरकार के लक्ष्य:
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक टीबी को पूरी तरह से समाप्त किया जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत कई कदम उठाए जा रहे हैं।
इसके अंतर्गत टीबी रोगियों को मुफ्त इलाज, पोषण सहायता और दवाएं दी जा रही हैं।
- नए डायग्नोस्टिक उपकरण और उपचार:
2024 में टीबी के निदान और इलाज में तकनीकी सुधार हुए हैं। GeneXpert और TrueNat जैसी एडवांस डायग्नोस्टिक मशीनें देशभर में टीबी के त्वरित परीक्षण के लिए लगाई जा रही हैं।
इसके अलावा, शॉर्ट-कोर्स रेजिमेन (कम समय में इलाज) का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है ताकि मरीजों को लंबे समय तक दवा नहीं लेनी पड़े।
- न्यूजलेटर और जागरूकता अभियान: टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों और गरीब तबकों में टीबी के बारे में जानकारी फैलाने पर जोर दिया जा रहा है।
2024 में टीबी से निपटने के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर काम किया है, जिससे टीबी के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत किया गया है।
4. टीबी वैक्सीन पर रिसर्च:
टीबी वैक्सीन के विकास पर भी तेजी से काम हो रहा है। M72/AS01E नामक टीबी वैक्सीन के परीक्षण जारी हैं, और इसके शुरुआती नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में टीबी वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी।
5. ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी का इलाज:
2024 में ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी (MDR-TB और XDR-TB) के मामलों को कम करने के लिए नए एंटीबायोटिक्स और दवाओं के कॉम्बिनेशन पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत इलाज की अवधि को कम करने और साइड इफेक्ट्स को घटाने पर काम हो रहा है।
टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में इन नए कदमों और प्रयासों से उम्मीद है कि 2025 तक देश टीबी-मुक्त बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा।
#doctor #tb #bharat #india #bihar #ima #bpsra #diversity #यक्ष्मा #alldoctorassociation