चलो बुलावा आया है,माता ने बुलाया है ,हम आज बात कर रहे हैं माता वैष्णो की नहीं छपरा की बुढ़िया माता की।
जो मां दुर्गा की रूप है | 250 साल पुराना यह मंदिर की कहानी बहुत ही अजीबो- गरीब है|
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां दो पेड़ था एक नीम और दूसरा पीपल का पेड़।| यह छपरा जंक्शन से काफी करीब है | शायद ही कहीं देखा जाता है कि नीम का पेड़ और पीपल का पेड़ एक साथ जुड़ा हो|
कहा जाता है कि नीम में मां दुर्गा का वास और पीपल में भगवान विष्णु का वास है| रेलवे प्रशासन ने इस पेड़ को काफी बार हटाने का प्रयास किया| जब-जब पीपल के पेड़ों की टहनियों को काटने की कोशिश की गई तब – तब उसे टहनियों से खून टपकता था और कोई ना कोई अनहोनी हो जाती थी|
मंदिर के आसपास ग्रामीण एवं रेलवे प्रशासन ने मिलकर जीर्णोद्धार करने का फैसला किया |तब से भक्तों के आस्था का केंद्र बन गया| और माना जाता है ,कि जो भी भक्तों का मनोरथ है यहाॅ पूर्ण होता है | मां दुर्गा रूपी यह बुढ़िया माई का रूप श्रद्धालुओं के भक्ति का केंद्र बन गया है।