ट्रेन नंबर 05133, जो छपरा से दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल तक जाएगी।
रेलवे का दावा—अब ‘कम खर्चे में दिल्ली की यात्रा’।
साधारण जनरल और स्लीपर कोच, बिना एयरकंडीशन… ताकि मजदूर, छात्र और किसान—जिनके लिए दिल्ली की यात्रा रोज़ का सफर है—उन्हें अब जेब ढीली न करनी पड़े।

आज उद्घाटन का खास मौका था।
मंच पर मौजूद थे महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल,अमनौर विधायक कृष्ण कुमार मंटू, और पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम।
और हरी झंडी ऑनलाइन दबाकर ट्रेन को रवाना किया रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने।

ट्रेन धीरे-धीरे पटरी पर सरकने लगी।
लोको पायलट ने ट्रेन को सावधानीपूर्वक सड़कते हुए गति दी,
और जैसे-जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ रही थी,
यात्रीगण अपने-अपने डिब्बों में सवार होकर इस नए सफर की शुरुआत का आनंद लेने लगे।
लोगों ने अपने मोबाइल और कैमरों से हर पल कैद करना शुरू कर दिया—
ट्रेन की चमक, प्लेटफॉर्म की हलचल, और यात्रियों के उत्साह की झलकें।

कहा जा रहा है—21 घंटे में छपरा से दिल्ली पहुँचा देगी।
नए-नए कोच, पुश-पुल इंजन और सुपरफास्ट स्पीड।
लेकिन सवाल वही पुराना है—
क्या सफाई और रफ्तार सिर्फ उद्घाटन तक ही सीमित रहेगी?
क्या आगे भी यात्री समय पर पहुंच पाएंगे?
और क्या टिकट आसानी से मिल पाएगा?

ट्रेन का रूट भी जाना-पहचाना है—
सीवान, थावे, कप्तानगंज, गोरखपुर, खलीलाबाद, बस्ती, गोंडा, बाराबंकी, कानपुर, इटावा होते हुए—आनंद विहार टर्मिनल तक।
रेलवे कहता है—यह ‘गरीबों की ट्रेन’ है।
लेकिन जनरल डिब्बों का हाल आप जानते ही हैं—भीड़, धक्का-मुक्की और सफर का संघर्ष।
तो क्या अमृत भारत एक्सप्रेस इस संघर्ष को आसान बनाएगी?
या फिर यह भी सिर्फ ‘एक और उद्घाटन’ बनकर रह जाएगी?

आज छपरा जंक्शन पर उत्साह साफ नज़र आया।
ट्रेन को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।
और कई यात्री उद्घाटन वाली इस पहली यात्रा में दिल्ली के लिए रवाना भी हुए।
उनके चेहरे पर उम्मीद साफ लिखी हुई थी।

छपरा से दिल्ली की दूरी अब एक नई पटरी पर है।
लेकिन असली सवाल यही है—क्या यह पटरी सच में ‘अमृत’ साबित होगी?
या फिर यात्रियों को एक बार फिर वही कष्टकारी अनुभव ही मिलेगा?”

