बिहार के युवा हर क्षेत्र में प्रतिभावान है, बस जरूरत है उनको सही मार्गदर्शन की। जहां एक तरफ युवा सरकारी नौकरी के लिए लद्दाख भी जाना पड़े वह पीछे नहीं हटते । वही खेल में बिहार सबसे निचले पायदान पर आता है। बिहार के खिलाड़ियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस सही अवसर और सुविधाओं की आवश्यकता है। इसी क्रम में आज हमारी वार्तालाप एथलेटिक्स के थ्रो आउट कैप जिसमें डिस्कस, हैमर थ्रो , शॉटपुट के एथिलिट एवं उनके कोच शक्ति सिंह से हुई। ebihardigitalnews.com के News Analyst संजीव मिश्रा से बातचीत में शक्ति सिंह ने बताया कि बिहार में विभिन्न स्तरों पर ट्रेनिंग कैंप चलाए जा रहे हैं पर जो खेल में बिहार को विकास चाहिए वह अभी भी अधूरा है। बिहार के खिलाड़ियों को जो सुर्खियां मिलनी चाहिए, या जो पिछड़ापन की समस्या है इसके कई कारण है:-
(1). बुनियादी ढांचे की कमी स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी खलती है।
(2). फंड – फंड है पर उसमें पारदर्शिता नहीं है।
(3). सामाजिक और आर्थिक कारण – परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण युवा खेल में करियर नहीं बना पाते।
इस कैंप में भाग लेने वाले खिलाड़ी पूरे बिहार से आये जिनमे कईयों ने राष्ट्रीय गेम भी खेल चुके हैं:-
नीतीश पांडे – शॉटपुट
अंतरा पांडे - हैमर थ्रो
देवांशु शेखर – शॉटपुट
तरुण रजक – शॉटपुट
आदित्य चौहान – शॉटपुट
सौरभ मिश्रा -शॉटपुट
वरुण सिंह- डिस्कस
जागृति सिंह – डिस्कस
शौर्य सिंह – डिस्कस
राजू सिंह – डिस्कस
कंचन – डिस्कस
संकल्प सिंह – डिस्कस
पलक कुमारी – हैमर
मो.कदिर – हैमर
सुमन कुमार – हैमर इत्यादि ने भाग लिया।
बिहार सरकार का नारा- “खेलेगा बिहार, बढ़ेगा बिहार” पर न तो सही चयन, न सही मार्गदर्शन और खेल फंड में भ्रष्टाचार यहां के प्रतिभा को दबा देता है।
अब तो उम्मीद इस बात की है कि कब कोई हमारे राज्य का खिलाड़ी ओलंपिक खेले और देश और राज्य के लिए मेडल लाए…