Sun. Oct 12th, 2025
एक टक्कर… और दो परिवारों की खुशियों पर विराम लग गया…

बीती रात छपरा के खैरा गांव के दो होनहार युवा —
राजा कुमार (पिता: स्व. रदन महतो)
संदीप कुमार (पिता: राजदेव सिंह)
अपने एक संबंधी को छपरा स्टेशन से लेने के लिए बाइक से निकले थे। रात करीब 11 बजे जब वे मुसहरी विजय सिंह पेट्रोल पंप के पास पहुंचे, उसी समय एक तेज रफ्तार बालू लदा ट्रक उन्हें कुचलता चला गया।

ट्रक नंबर था: UP 52T 4395 — यही है वो नंबर, जिसने दो जिंदगियों को हमेशा के लिए छीन लिया।
घसीटते हुए ले गया… और पीछे छोड़ गया मातम
शराबी ट्रक ड्राइवर हो या लापरवाह प्रशासन —
सड़क पर खून से लथपथ शव, टूटी हुई बाइक और खामोश लोगों की भीड़।
ये कोई पहली बार नहीं था… इस रास्ते पर कई ज़िंदगियाँ पहले भी दम तोड़ चुकी हैं।

बालू माफिया का कहर — और चुप प्रशासन
यह रास्ता अब ‘बालू माफिया कॉरिडोर’ बन चुका है।
तेज रफ्तार ट्रक, ओवरलोड गाड़ियाँ, बिना किसी डर के चलती हैं…
फिर चाहे आम आदमी कुचल जाए, किसी को फर्क नहीं पड़ता।
पूर्व मुखिया शत्रुघ्न भक्त का गुस्सा फूटा

“अगर सरकार को बालू ही ढोना है तो ट्रकों के लिए अलग रास्ता क्यों नहीं बना रही?

आम लोगों की जिंदगी खतरे में है। इस रास्ते पर ट्रकों का परिचालन तत्काल बंद किया जाए।”
समाचार लिखे जाने तक न शवों का पोस्टमार्टम हुआ, न ट्रक चालक की गिरफ्तारी की पुष्टि।
परिजन सदमे में हैं… और पूरा गांव आक्रोशित।
सवालों के कटघरे में सरकार:
क्या बालू माफिया का खेल जान से ज्यादा जरूरी है?
क्यों नहीं बनाई गई ट्रकों के लिए वैकल्पिक सड़क?
कितनी और मौतें चाहिए सिस्टम को जागने के लिए?

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