दंपत्तियों के चेहरे खिले, प्रशासन को कहा – शुक्रिया!
जीवन की भागदौड़ में कई बार कुछ लम्हे ऐसे आते हैं जो ज़िंदगी को नया अर्थ दे जाते हैं। सारण जिला के लिए सोमवार का दिन कुछ ऐसा ही रहा। तीन नन्हे-मुन्ने बच्चों को उनके नए माता-पिता का प्यार और दुलार मिला, जब जिलाधिकारी श्री अमन समीर ने दत्तकग्रहण प्रक्रिया को अंतिम रूप देते हुए उन्हें कानूनी रूप से सौंपा।

भारत के अलग-अलग राज्यों से आए दंपत्ति
इन तीनों बच्चों को गोद लेने के लिए भारत के विभिन्न राज्यों से दंपत्ति आए थे, जिन्होंने CARINGS पोर्टल (carings.wcd.gov.in) पर पहले से ही आवेदन किया हुआ था। तय प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें कानूनी रूप से बच्चे सौंपे गए।
जैसे ही बच्चों को नए माता-पिता की गोद में सौंपा गया, भावनाओं का ज्वार फूट पड़ा, और आंखों में आंसू, चेहरों पर मुस्कान थी। इन दंपत्तियों ने जिला प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस लम्हे को “जिंदगी का सबसे अनमोल पल” बताया।

कहां से होती है पूरी प्रक्रिया?
यह प्रक्रिया समाज कल्याण विभाग के अधीन विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान, सारण के माध्यम से की जाती है, जिसे जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा संचालित किया जाता है। यहां देखरेख में रह रहे “Children in Need of Care and Protection” श्रेणी के बच्चों को पूरी सुरक्षा, पोषण और देखभाल दी जाती है, जब तक उन्हें गोद नहीं लिया जाता।
इस विशेष मौके पर मौजूद रहे:
सहायक निदेशक, समाज कल्याण विभाग
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी
संस्थान समन्वयक
अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी
कैसे गोद लें बच्चा? जानिए नियम
- पात्रता:
दंपत्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिए
कम से कम 2 साल का वैवाहिक जीवन जरूरी है
दोनों पति-पत्नी की आपसी सहमति अनिवार्य है
- रजिस्ट्रेशन और प्रक्रिया:
CARINGS पोर्टल (carings.wcd.gov.in) पर रजिस्ट्रेशन करें
प्रक्रिया में काउंसलिंग, होम स्टडी रिपोर्ट और सत्यापन होता है
- कौन बच्चा गोद ले सकता है:
एकल महिला: लड़का या लड़की दोनों को
एकल पुरुष: केवल लड़का
दो संतान वाले दंपत्ति: केवल विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को
- अवैध दत्तकग्रहण अपराध है:
देश में किसी भी अन्य अनधिकृत माध्यम से बच्चा गोद लेना कानूनी अपराध माना जाता है।
