
[शाम 7:16 बजे, 9/3/2025] ebihar digitalnews: बिहार बजट 2025-26 में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान दिया गया है, लेकिन रोजगार, उद्योग, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधारों की जरूरत थी, जो इस बजट में कमज़ोर दिखते हैं। यदि इन बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो राज्य की विकास गति धीमी हो सकती है।
[शाम 7:16 बजे, 9/3/2025] ebihar digitalnews: प्रमुख बिंदु:
शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र के लिए 60,954 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो कुल बजट का 19.44% है। बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता मिलेगी।
स्वास्थ्य: स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 20,335 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो कुल बजट का 8.82% है। बेगूसराय में एक विशेष कैंसर अस्पताल की स्थापना की जाएगी, और 108 नए नगर चिकित्सा सुविधा केंद्र खोले जाएंगे।

महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं शुरू की जाएंगी, जैसे कि प्रमुख शहरों में ‘महिला हाट’ की स्थापना, महिलाओं के लिए जिम ऑन व्हील्स, पिंक बस सेवा, पिंक टॉयलेट्स, और कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास की सुविधा।
बुनियादी ढांचा: राज्य में 8 नए हवाई अड्डों का विकास किया जाएगा, जिसमें पूर्णिया, राजगीर, सुल्तानगंज और रक्सौल शामिल हैं। इसके अलावा, सड़कों के विकास के लिए 17,908 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
कृषि एवं उद्योग: कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए नई नीतियों का कार्यान्वयन किया जाएगा, और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन नीति लागू की जाएगी।
इस बजट का उद्देश्य राज्य के समग्र विकास को गति देना, रोजगार के अवसर बढ़ाना और नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में सुधार करना है।
[शाम 7:16 बजे, 9/3/2025] ebihar digitalnews: बिहार बजट 2025-26 में कुछ सकारात्मक पहलें जरूर हैं, लेकिन इसमें कई कमियाँ भी नजर आती हैं।
- रोजगार और उद्योग में ठोस नीति का अभाव
बिहार में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, लेकिन बजट में उद्योग और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं दिखती।
स्टार्टअप्स और निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए कोई मजबूत नीति या कर प्रोत्साहन का जिक्र नहीं है।
- शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की कमी
भले ही शिक्षा के लिए सबसे अधिक बजट (60,954 करोड़ रुपये) आवंटित किया गया है, लेकिन यह केवल आधारभूत ढांचे और योजनाओं तक सीमित लगता है।
सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों की कमी, पाठ्यक्रम का अपडेट न होना और डिजिटल शिक्षा की सीमित पहुंच जैसे मुद्दों का समाधान बजट में स्पष्ट रूप से नहीं किया गया।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में अपर्याप्त बजट
बिहार में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य बजट अन्य राज्यों की तुलना में कम है।
डॉक्टरों की संख्या, अस्पतालों की गुणवत्ता, और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं दिखता।
बिहार में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात पहले से ही राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है, लेकिन इसे दूर करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं दी गई।
- कृषि क्षेत्र में नई तकनीक और संरचनात्मक सुधारों की कमी
कृषि आधारित राज्य होने के बावजूद, किसानों को आधुनिक तकनीक, सिंचाई सुविधाओं, और समर्थन मूल्यों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।
मखाना बोर्ड की स्थापना अच्छी पहल है, लेकिन बाकी कृषि उत्पादों की स्थिति को सुधारने के लिए कोई विस्तृत योजना नहीं दिखती।
- बुनियादी ढांचे में धीमी प्रगति की संभावना
हवाई अड्डे, सड़कें, और रेल नेटवर्क के विस्तार का ऐलान तो हुआ है, लेकिन इनकी क्रियान्वयन नीति स्पष्ट नहीं है।
पहले से चल रहे बुनियादी ढांचे की कई परियोजनाएँ अभी अधूरी हैं, और नए प्रोजेक्ट्स के लिए उचित समयसीमा और निगरानी की स्पष्टता नहीं है।
- महिला सशक्तिकरण योजनाओं में व्यावहारिकता की कमी
महिला हाट, पिंक बसें, और पिंक टॉयलेट्स जैसी योजनाएँ अच्छी लगती हैं, लेकिन यह सीमित क्षेत्रों तक ही प्रभावी होंगी।
बिहार में महिला रोजगार दर पहले से ही कम है, लेकिन महिला उद्यमियों और स्वरोजगार को बढ़ावा देने की कोई मजबूत नीति नहीं बनी।
- केंद्र पर अधिक निर्भरता
बिहार का बजट केंद्र सरकार से मिलने वाले अनुदानों और सहायता राशि पर काफी निर्भर है।
राज्य सरकार की खुद की आय में बढ़ोतरी के लिए कोई ठोस योजना नहीं है, जिससे वित्तीय आत्मनिर्भरता पर असर पड़ सकता है।
