छपरा से निकला यह लोकतंत्र का कारवां सिर्फ़ गाड़ियों का जुलूस नहीं है, बल्कि चुनाव आयोग की एक बड़ी कवायद है।
नाम है – विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम – दावा/आपत्ति अभियान।
उद्देश्य है – मतदाता सूची की सफ़ाई।
मतलब, अगर नाम छूट गया है तो जोड़िए, अगर गलती है तो सुधारिए, अगर मृतक या बाहर गए लोगों के नाम हैं तो हटाइए।

आयुक्त राजीव रौशन और जिलाधिकारी अमन समीर ने झंडी दिखाई और कहा कि इस अभियान से लोगों का भरोसा बढ़ेगा।
लेकिन भरोसा वहीं है जहाँ सवाल हैं।
और सवाल विपक्ष उठा रहा है।
SIR को लेकर विपक्ष हमलावर हैं..राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव तक ने बिहार में मतदाता सूची को लेकर गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं।
तो सवाल यही है –
अगर मतदाता सूची इतनी साफ़ है, तो विपक्ष क्यों बार-बार गड़बड़ी की बात करता है?

क्या यह अभियान इन सवालों का जवाब देगा?
या फिर यह भी सिर्फ़ फ्लैक्स, पोस्टर और गाड़ियों का दिखावा बनकर रह जाएगा?
डीडीसी यतेंद्र कुमार पाल ने कहा कि एसओपी का पालन कड़ाई से होगा।
उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद इकबाल ने बताया कि अभियान जिले के सभी बूथों तक पहुँचेगा और रोज़ आयोग को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

मतदाता सूची की गड़बड़ियों पर बहस नई नहीं है।
हर चुनाव से पहले यह विवाद सामने आता है।
लेकिन इस बार मामला बड़ा है क्योंकि विपक्ष खुलकर हमलावर है।

फिलहाल, “विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम” के नाम पर लोकतंत्र का कारवां निकल पड़ा है।
अब देखना यह है कि यह कारवां विपक्ष के आरोपों का जवाब दे पाता है, या फिर यह सवाल अगले चुनाव तक जनता के जेहन में वैसे ही घूमते रहेंगे।

