30 अगस्त को निकल रही है महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा।
जुलूस में होंगे राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, रोहिणी आचार्य और न जाने कितने बड़े चेहरे।

लोगों की नज़रें होंगी —
- राहुल गांधी क्या बोलेंगे?
- तेजस्वी किस लाइन में तंज़ कसेंगे?
*और बाकी नेता कितनी भीड़ खींच पाएंगे?

लेकिन इससे भी बड़ा सवाल है
इस यात्रा से बिहार का विकास बदलेगा, या सिर्फ पोस्टर और बैनर ही बदलेगा?

क्योंकि छपरा में हालात ये हैं कि पोस्टरबाजी का महाकुंभ लग चुका है।
हर गली, हर चौराहा, हर दीवार पर सिर्फ पोस्टर ही पोस्टर।
राजद के कार्यकर्ता सबसे आगे निकल गए हैं।

राजद के कार्यकर्ता सबसे आगे निकल गए हैं।
गेट बनवा दिए, झंडा लगा दिया, बैनर टांग दिए।
कांग्रेस और वीआईपी वाले भी पीछे नहीं।
बोर्डिंग-होर्डिंग पर करोड़ों का खर्च बहा दिया गया।

अब सवाल ये है —
क्या इतना पैसा फूंकने से वोटर का रुझान बदल जाएगा?
या मतदाता कहेगा, “भाई… पेट्रोल-डाल-टमाटर का दाम कम करो, पोस्टर का नहीं।”

महागठबंधन का दावा है — बीजेपी और इलेक्शन कमीशन ने मिलकर वोट चोरी की तैयारी कर रखी है।
अब ये तो जांच का विषय है, लेकिन राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप के बिना मज़ा कहाँ!

तो 30 अगस्त को दिखेगा नज़ारा —
क्या ये वोटर अधिकार यात्रा सिर्फ भीड़ और नारों तक सिमटेगी,
या सच में बिहार की राजनीति का रंग बदल देगी?

बाकी…
समय ही सबसे बड़ा जज है।


