रिपोर्ट: संजीव मिश्रा, eBihar DigitalNews | छपरा
8 अगस्त को पूरे बिहार में आइसा (AISA) ने राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाया। यह विरोध सरकार द्वारा STET परीक्षा न लेने के निर्णय और 7 अगस्त को पटना में हुए लाठीचार्ज के खिलाफ था, जिसमें सैकड़ों STET अभ्यर्थी घायल हुए।

बिहार में हर साल दो बार STET (Secondary Teacher Eligibility Test) परीक्षा का आयोजन होता रहा है, जो शिक्षकों की बहाली का मुख्य रास्ता है। लेकिन सरकार की नई घोषणा ने लाखों युवाओं की उम्मीदों को झटका दिया है। सरकार ने कहा है कि फिलहाल STET नहीं लिया जाएगा, जबकि 5 लाख से अधिक अभ्यर्थी इंतज़ार में हैं।

क्या है मुद्दा?
बिहार में शिक्षक बहाली की प्रक्रिया लंबे समय से युवाओं के लिए संघर्ष का विषय रही है। पिछली सरकारों के समय हर साल दो बार STET परीक्षा होती थी। मगर अब सरकार की चुप्पी और अस्पष्ट नीति से नाराज होकर छात्र संगठनों ने सड़कों पर उतरने का फैसला लिया।

7 अगस्त को पटना के गर्दनीबाग में हजारों की संख्या में STET अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। इसी दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। छात्रों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रख रहे थे, लेकिन प्रशासन ने बल प्रयोग किया।
आइसा का बयान: क्या बोले दीपांकर मिश्रा और कुणाल कौशिक
आज के खास बातचीत में आइसा के राज्य सचिव दीपांकर मिश्रा और छात्र नेता कुणाल कौशिक ने हमारे संपादक संजीव मिश्रा से बात करते हुए कहा:

“सरकार एक ओर युवाओं को रोजगार देने का वादा करती है, दूसरी ओर STET जैसी परीक्षा को रोक रही है। इससे लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। हम इसका विरोध करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि तुरंत STET-4 परीक्षा की तिथि घोषित की जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि लाठीचार्ज की घटना निंदनीय है और यह छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को कुचलने की कोशिश है।
क्या मांगें हैं आंदोलनकारियों की?
- STET-4 की तत्काल तिथि घोषित की जाए
- हर साल 2 बार नियमित STET परीक्षा हो
- शिक्षक बहाली की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध हो
- 7 अगस्त को लाठीचार्ज के दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो