Sun. Oct 12th, 2025

छपरा।
आज सुबह-सुबह भू अर्जन कार्यालय में कुछ गजब-गजब हो गया। निगरानी विभाग के पुलिस उपाधीक्षक पवन कुमार अपनी टीम के साथ पहुंचे और वहां के क्लर्क आकाश मुकुंद को 30 हज़ार रुपए की घूस लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया।

कहानी यों है—
सोनपुर, गोविन्दचक के हर्षवर्धन कुमार सिंह की जमीन एनएच निर्माण में अधिग्रहित हुई थी। इसके बदले उन्हें करीब 16 लाख रुपए का मुआवज़ा मिला। लेकिन, क्लर्क बाबू ने 2% की दर से अपना “कट” मांग लिया—यानी 30 हज़ार। सौदा फाइनल, और आज पैसा लेते ही ऑपरेशन “गिरफ्त” शुरू।
भीड़ के सामने नोट गिने गए, सबूत पक्का किया गया, और बाबू जी को हिरासत में ले लिया गया।

अब हर्षवर्धन की भी सुन लीजिए—
वो कहते हैं, “भारत माला प्रोजेक्ट में नया पेमेंट रोक दिया गया था, और पुराना पेमेंट भी ऐसे ही काट रहे थे। मजबूरन निगरानी विभाग को शिकायत करनी पड़ी।”

लेकिन, यहां एक बड़ा सवाल खड़ा है—
क्या सिर्फ प्यादा पकड़कर शतरंज जीत लेंगे?
क्योंकि, खेल में राजा-मंत्री भी होते हैं, और भ्रष्टाचार का असली ताज तो उन्हीं के सिर पर होता है।

इस देश में भ्रष्टाचार की जड़ इतनी गहरी है कि इसे काटने के लिए सिर्फ छापेमारी नहीं, सिस्टम की “सर्जरी” चाहिए। वरना, प्यादे पकड़ते-पकड़ते राजा-मंत्री अगली चाल चल देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *