20 से 22 साल का नौजवान – हिमांशु सिंह।
पुलिस कहती है एक्सीडेंट है, परिजनों का कहना है हत्या।
अब यह जांच का विषय है कि यह मौत सड़क पर हुई या रिश्तों और समाज की किसी गली में…

आप सोचिए – 20 साल की उम्र।
यही तो समय होता है जब लड़के अपनी जिंदगी का सपना देखते हैं।
किसी नौकरी की तलाश, किसी प्रेम की तलाश, किसी पहचान की तलाश।
लेकिन हिमांशु का सपना अधूरा रह गया।

उसके पिता रघबीर सिंह का कहना है – “मेरे बेटे की हत्या हुई है।
उसका एक लड़की से प्रेम प्रसंग था, और वही लोग उसे खत्म कर दिए।
जरा सोचिए – एक बाप, रघबीर सिंह, जो बूढ़ापे का सहारा अपने बेटे में देख रहा था,
अब उसी बेटे की लाश का पोस्टमार्टम रिपोर्ट हाथ में लेकर
अपने जीने का सहारा ढूंढ रहा है

भीड़ है।
लोग हैं।
अफवाह है।
पुलिस है।
और अब इंतजार है –
कि पोस्टमार्टम क्या कहेगा?
लेकिन सवाल यह है कि –
एक नौजवान की मौत को सिर्फ एक्सीडेंट कह देना क्या आसान है?
या हत्या कह देना ही पर्याप्त है?
उसके सपनों का क्या होगा?
उस पिता की उम्मीदों का क्या होगा?

हर बार जब गांव का कोई नौजवान इस तरह मरता है,
तो अखबार की एक कॉलम भर जाती है।
लेकिन उस पिता – रघबीर सिंह – के दिल में जो खालीपन होता है,
वह किसी रिपोर्ट से नहीं भरता।

Disclaimer-
यह रिपोर्ट उपलब्ध जानकारी और परिजनों के बयान पर आधारित है। जांच पूरी होने के बाद ही अंतिम सच्चाई सामने आएगी।


