ढ़ौरा की सड़कों पर एक और मासूम सपना, धूल और खून में लथपथ होकर खत्म हो गया। उसरीकला का रहने वाला 21 साल का गोलू कुमार… नाम सुनते ही आपको शायद लगे — ये तो कोई आम लड़का होगा। लेकिन सोचिए, यही “आम लड़का” अभी कल्पनाओं की दुनिया में था। 21 की उम्र… जब दोस्ती,

हंसी-ठिठोली, अपने भविष्य की रूपरेखा बनाने की उम्र होती है… जब दुनिया को देखने, समझने और जीतने का सपना पलकों पर होता है… वहीं आज उसकी दुनिया मढ़ौरा की सड़क पर थम गई।

तेज रफ्तार ट्रक… और उसके नीचे दबा गोलू। टक्कर इतनी भीषण थी कि मौके पर ही उसकी मौत हो गई। ट्रक चालक… वही पुरानी कहानी… वाहन छोड़कर फरार।

पुलिस आई, शव उठाया… अस्पताल ले गई… और डॉक्टरों ने सिर्फ एक लाइन कह दी — “मृत घोषित।”

सोचिए ज़रा… गांव का वो घर, जहां मां-बाप शायद अभी भी इंतज़ार कर रहे होंगे कि गोलू बाइक से लौटेगा। लेकिन लौटा तो सिर्फ एक शव। पोस्टमार्टम के बाद कागज़ी औपचारिकताएं पूरी कर दी गईं और शव सौंप दिया गया। पुलिस कह रही है — प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है… जांच चल रही है।

लेकिन असली सवाल वही है — आखिर इन तेज रफ्तार ट्रकों की लगाम कौन थामेगा? हर हादसे के बाद वही कहानी… वही दर्द… वही अधूरे सपने।


मढ़ौरा की इस सड़क पर आज सिर्फ खून नहीं गिरा है… बल्कि एक परिवार का भविष्य टूटकर बिखर गया है।

