यह खबर है उस गायक की… जिसने पूरे असम को हिला कर रख दिया।
जुबीन गर्ग… जी हाँ, वही जुबीन गर्ग, जो ‘या अली’ और ‘दिलरुबा’ के लिए जाने जाते हैं।

असम, भारत और कई भाषाओं में 38,000 से ज्यादा गाने…
छोटे से गांव तुरा से उठकर, उन्होंने असमिया, हिंदी, बांग्ला, और 40 से ज्यादा भाषाओं में संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई।
आज वह 52 साल के थे… लेकिन उनकी आवाज़ और उनके गाने हमेशा जिंदा रहेंगे।

और अब उनकी मौत… जिसने पूरे असम में तूफान ला दिया।
जुबीन गर्ग सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान गए थे।
डाइविंग के दौरान उन्हें सांस लेने में कठिनाई हुई…
डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
दो पोस्टमार्टम हो चुके हैं… और आम लोग अभी तीसरे पोस्टमार्टम की मांग कर रहे हैं।

असम की सड़कों पर… 25 किलोमीटर तक लोग जुबीन को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हैं।
होटल, रेस्टोरेंट, ऑफिस – सभी बंद।
बाहरी पर्यटक और बिहारी लोग जो वहां गए, उन्हें भी खाने-पीने की जगह नहीं मिल रही।
सड़कों पर हर जगह जुबीन के गीतों की गूंज और लोगों का शोक…
ऐसा दृश्य शायद ही कभी किसी आम व्यक्ति के लिए देखने को मिलता हो।

मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने जुबीन के समाधि स्थल के लिए सोनपुर में 5 एकड़ जमीन देने की घोषणा की है।
राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंतिम विदाई दी जाएगी।
(धीरे और गंभीर स्वर में – रवीश कुमार स्टाइल अंत)

जुबीन गर्ग… असम का संगीत सम्राट,
एक आवाज़ जो लाखों दिलों तक गई…
अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं,
लेकिन उनका संगीत, उनकी यादें और असमियों की दीवानगी…
हमेशा जिंदा रहेगी।

और यही कहानी है…
एक गायक की मौत, जिसने पूरे असम को रुला दिया,
लेकिन लोगों के दिलों में जीवन भर गूंजता रहेगा


