अंधेरी दुनिया में मन से चिराग जलाते हैं। समाज में आप इन्हें अंधा और न जाने किन-किन नामो से पुकारते हैं। यह समाज के अपने परिवार के भेदभाव के शिकार हैं। जरूरत है इन्हें बढ़कर आत्मविश्वास दिलाने की। कहते हैं यहां के लोग हमें समाज हीन भावना से देखता हैं। दर्द दिलों में होती है पर होठों पर मुस्कान। किसी ने सच ही कहा है-
” रोशनी की कमी क्या मायने रखती है,
जब दिल में उम्मीदे है चांदनी बिछड़ती है।
हर कदम पर विश्वास रखो अपने आप पर,
तुम्हारी जीत ही तुम्हारी असली पहचान कहती है।”