Sanjeev Mishra Desk:
सपने उन्हीं के सच होते हैं, जो उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखते हैं। तुमने जो उड़ान भरी है, वह न केवल तुम्हारी मेहनत का परिणाम है, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं। आगे भी इसी जज़्बे और आत्मविश्वास के साथ बढ़ती रहो—आसमान तुम्हारी हद नहीं, बल्कि नई शुरुआत है!”
बिना इंस्ट्रक्टर के फ्लाइट उड़ाया:ताइबा ने कहा कि मैं पहली बार बिना इंस्ट्रक्टर के फ्लाइट उड़ाया था. मैं कितनी बदहवास थी यह मैं खुद नहीं बता सकती हूं. मैं अपने इंस्ट्रक्टर के साथ फ्लाइट उड़ा रही थी और जब वे ग्राउंड पर आए तो वे अचानक विमान से उतर गए और कहा कि तुम अकेले विमान लेकर जाओ उड़ान भरो तुम कर सकती हो क्यों डरती हो लेकिन अंदर से काफी डर था. इसके बावजूद उन्होंने विमान उड़ाया टेक ऑफ किया और उसके बाद फिर वापस रनवे पर उतरी

पिता की राशन दुकान:ताईबा अफरोज खोदाईबाग जलालपुर की रहने वाली हैं. उनके पिता मोती उल हक एक राशन की दुकान चलाते हैं. मां शमशुल निशा गृहिणी हैं. उनकी एक छोटी बहन अरीबा पटना में खान सर की कोचिंग से बीपीएससी की तैयारी कर रही है. ताईबा ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद ही आसमान में उड़ान भरने का सपना देखना शुरू कर दिया था. उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना पायलट बनने की ठान ली.

ताईबा बनीं पायलट तो परिवार में खुशी की लहर: ताईबा की सफलता से उनके परिवार और पूरे जिले में खुशी की लहर है. उनके माता-पिता ने कहा कि वे अपनी बेटी पर बहुत गर्व करते हैं. उन्होंने कहा कि ताईबा की सफलता से अन्य लड़कियों को भी प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने कहा कि वह अन्य महिलाओं को भी प्रोत्साहित करना चाहती हैं कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ें.

राशन की दुकान से घर चलता है. बेटी को आसमान में उड़ना था, पायलट बनना था, इसलिए उसे पढ़ाने के लिए जमीन बेच दी. आज मेरी दोनों बेटियां आज काफी अच्छा कर रही हैं. इससे काफी राहत मिलती है. दोनों बेटियां पढ़ाई के बाद आज जिस मुकाम पर है वह एक माता-पिता के लिए काफी गर्व की बात है.”
